साठोत्तरी महिला कहानीकारों ने कहानी के क्षेत्र में वस्तु तथा शिल्प के आधार पर नवीन भूमिया तोड़ डाली । इन्होंने कालान्तर में नई कहानी का वस्तु और शिल्प के आधार पर विद्रोह किया । विद्रोह के कारण नई कहानी में भटकाव्य आ गया है और भटकाव के कारण ही नई कहानी में छोटे – छोटे आन्दोलन चलाने का प्रयत्न किया हैं ।
उन्होंने उपन्यास के क्षेत्र में भी अपनी विशिष्टता का परिचय दिया हैं । इनहोंने उपन्यास की विभिन्न पद्धतियों को उपन्यास हैं और नारी – मनोविज्ञान को अधिकांशतः लिया हैं । महिला कथाकारों ने अपनी कृतियों में मनुष्य की विशेष कर नारी की व्यथा , पीड़ा , वेदना , भय , संत्रास इनहोंने नारी - मन को व्यथा को अधिक, समझ है और उसे आत्मासात भी किया हैं । इन्होंने जीवन के इन्होंने वर्तमान स्थिति के उन घिनौने सत्यों का इसके अतिरिक्त इन्होंने मध्यवर्गिय विवशता और घुटन को उभर कर अपनी कृत्तियों द्वारा उसका सफल चित्रण किया हैं